My Strength
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Friday, March 31, 2017
झूठा सच (jhoota sach)
पाश की जो किताब दे कर वह मुझसे
दूर गयी
किसी
वर्क़
में कुछ लिखकर
कह गयी
आज भी ढूंढ रहा हूँ
पलट रहा हूँ
न कोई पैगाम है
न कोई पता है।
--संतोष काना (santhosh kana)
1 comment:
vinni
said...
U lost me on line no 3
April 1, 2017 at 12:45 PM
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1 comment:
U lost me on line no 3
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